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लेखनी प्रतियोगिता -18-Nov-2023

#दिनांक:-18/11/2023
#शीर्षक:- सफर की यादें

आह! बड़े दिनों बाद उसका फोन आया,

बहुत वक्त बाद, तेरे चाहत का पैगाम आया !
भावविह्वल हो, मैं तुम्हें सुन रही थी ,
पुराने सपने, नये तरीके से बुन रही थी !
मैं होकर भी नही थी फोन पर ,
मंत्रमुग्ध थी उसके टोन पर !
सदियों पीछे, अपने को ढूंढ रही थी ,
'प्रतिभा' नजर आ रही थी,,
पर ,, अपरिचित सी मुझे देख रही थी !
कसकर जकड़ रखा हैं उसने बाहों में ,
फूल ही फूल बिछे हैं राहों में !
ख्वाइशे पूरी करने की गुहार ,
बार-बार , प्यार का इजहार !
मना ना करना प्रिये,  मेरी मनुहार !
हर राहों को आसान बनाएँगे प्रिये,
किये थे जो वादा निभाएगे प्रिये !
मेरी मीठी शाम लौटाओ ,
फिर से मेरी जिंदगी बन जाओ.......!

पीछे से माँ , माँ , की आवाज से ध्यान टूटा ,
ध्यान के साथ अरमान टूटा ...!
कहाँ गुमनाम थे अब तक ,
तीर सवाल था मेरा ,
तुमने जवाब दिया,  आत्मग्लानि से भरकर ,,,
जब तक पास था, तेरा एहसास नहीं कर पाया,
बाहों में भरकर भी, तुम्हें अपना नहीं पाया 😔
दूर होकर जाना, तुम मेरी बंदगी हो ,
तुम्हीं मेरी सुकून-ए-जिन्दगी हो ...!

आवाज रुआंसी थी मेरी, पर बुलंद हो बोली,,,

समय ने, समय को, समय पर, समय ना दिया ,
फिर समय ने, समय को, रुखसत कर दिया !!

आह! आज भी वक्त, बे-वक्त बहुत पीछे मुझे ले जाती है,
यादें, सफर की यादें खींच कर रुऑसी कर जाती है |
(स्वरचित)

               प्रतिभा पाण्डेय "प्रति"
                        चेन्नई 



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2 Comments

Babita patel

19-Nov-2023 10:08 AM

👍👌

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Gunjan Kamal

18-Nov-2023 08:21 PM

👏🏻👌

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